परमपिता परमेश्वर 16 कलाओं से संपन्न पूर्ण अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भादो अष्टमी रोहिणी नक्षत्र मध्यरात्रि कंस की जेल में हुआ था। लेकिन कृष्ण के जन्म के बाद प्रभु की माया की वजह से सभी प्रहरी सो गए । कंस के डर की वजह से प्रभु श्री कृष्ण के जन्म के बाद वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद भवन पहुंचा दिया । उसके बाद योग माया जेल में आ गई जबकि उन्हें मारने आया तो आकाशवाणी हुई कि तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है। अपनी मौत की खबर सुनकर कंस बौखला गया उसने पूतना को आदेश दिया कि सभी 6 दिन के बच्चों को मार दिया जाए इसी डर की वजह से मां यशोदा ने बालकृष्ण को छुपा लिया और उनकी पूजा भी नहीं की। इसके बाद वह प्रभु श्री कृष्ण की छठी के बारे में भूल गई । 1 साल बाद प्रभु श्री कृष्ण का जन्मदिन आया तो मां यशोदा ना इसे बड़ी धूमधाम से मनाने की बात कही लेकिन उनकी सहेली चंद्रावली ने कहा कि कान्हा का छठी पूजन नहीं हुआ है इसलिए कोई आपके घर नहीं आएगा इसके बाद मां यशोदा ने कान्हा के जन्म के 364 दिन बाद सप्तमी को जन्मदिन के एक दिन पहले छठी पूजन किया । इसको बड़ी धूम-धाम से मनाया गया पूजन के बाद ही ब्रजवासी मां के घर जन्मदिन मनाने पहुंचे। जनसाधारण जन्माष्टमी के 6 दिन बाद ही भगवान की छठी मनाते हैं छठी पर भगवान का कीर्तन एवं पूजा प्रसाद का वितरण करते हैं । इसके बाद लोग में भी छठे दिन ही छठी महोत्सव मनाया जाने लगा बिना छठी महोत्सव मनाए अष्टमी का व्रत का पूजन का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता। इसी प्रथा को आगे बढ़ाते हुए सभी भक्तों को अपने-अपने घरों में कान्हा की छठी बनानी चाहिए जिससे प्रभु का श्रंगार कीर्तन करके प्रसाद वितरण करना चाहिए । जिससे जन्माष्टमी के व्रत पूजन का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। हरे कृष्णा।।